एनडीपीएस एक्ट 1985
यूएन सम्मेलन के बाद एनडीपीएस एक्ट
एनडीपीएस एक्ट में प्रतिबंधित ड्रग्स
मात्रा का महत्व
3. वाणिज्यिक मात्रा में बीस वर्ष तक का कारावास और कम से कम एक लाख तक का जुर्माना जो दो लाख तक का हो सकता है।
मात्रा का निर्धारण समय समय पर केंद्र द्वारा किया जाता रहता है। यहां अगर भारत के सीमा क्षेत्र के भीतर व्यक्ति के पास यदि एक ग्राम भी अफीम इस अधिनियम के अधीन बनाये नियम या दिए आदेश के अंतर्गत अनुज्ञप्ति के बगैर पायी जाती है तो भी वह दोषी होगा। ऐसे मामले में वह अल्पमात्रा का दोषी माना जाएगा। इन पदार्थों और ड्रग्स का लगभग हर रूप प्रतिबंधित किया गया है और शास्ति रखी गयी है-
अधिनियम के अंतर्गत अनुसूची में डाले गए पदार्थो का निर्माण, मैन्यूफेक्चरिंग, कृषि, प्रकिया, क्रय, विक्रय, संग्रह, आयात, निर्यात, परिवाहन और यहां तक उपभोग भी प्रतिबंधित किया गया है। इस ही के साथ उपभोग पर भी दंड रखा गया है।
इस अधिनियम में है मृत्युदंड तक का प्रावधान
इस अधिनियम में मृत्युदंड का भी प्रावधान रखा गया है। अधिनियम की धारा 31 A के अंतर्गत एक बार सिद्धदोष ठहराए जाने के बाद पुनः उस तरह का अपराध किया जाता है तो मृत्युदंड भी दिया जा सकता है।
अधिनियम के अंतर्गत अपराधों का प्रयास, तैयारी,उत्प्रेरणा,षड़यंत्र, उपभोग और फाइनेंस को भी अपराध बनाया गया है।और इन सभी के लिए वही दंड है जो इन अपराधों के लिए दंड रखा गया है।
तीन प्रमुख पौधे
अधिनियम के अंतर्गत तीन प्रमुख पौधे हैं, जिनकी खेती, परिवहन, आयात, निर्यात, संग्रह, क्रय, विक्रय, उत्पादन, कब्ज़ा और उपभोग अनुज्ञप्ति और इस अधिनियम के अंतर्गत किसी आदेश के बगैर दंडनीय है।
कोका का पौधा- इस पौधे से मुख्यता कोकेन प्राप्त की जाती है। कोकेन अत्यधिक नशीली होती है।
कैनाबिस का पौधा- इसे सामान्यता भांग का पौधा भी कहा जाता है। इस ही पौधे की फूल,पत्तियों और तने को सुखाकर गांजा बनाया जाता है। भांग केवल पत्तियों से तैयार हो जाती है। इस पौधे की मादा प्रजाति से एक गोंद जैसा द्रव निकलता है जिससे चरस बनती है।
पोस्त का पौधा- इसे अफीम के पौधे के नाम से जाना जाता है। इस पौधे की पत्तियां नशीली नहीं होती है। इसका एक फल होता है जिसे डोडा कहा जाता है। डोडा पर चाकू मारने से दूध जैसा द्रव निकलता है जो सूखने पर अफीम बनता है। डोडा के भीतर दाने होते है जिन्हें खस खस के दाने कहा जाता है वह नशीले नहीं होते हैं, उन्हें मेवों में इस्तेमाल किया जाता है, जो सूखा हुआ ऊपर खोल बचता है उसे डोडा चूरा कहा जाता है जो नशीला होता है लेकिन अफीम से कम।
इस ही पौधे से अत्यधिक आवश्यक औषधि मॉर्फिन प्राप्त की जाती है जो दर्द निवारक और नींद के लिए प्रयुक्त होती है।
विशेष न्यायालय
इस अधिनियम की धारा 36 के अंतर्गत विशेष न्यायालय से गठन किया गया है। उन ही न्यायालय द्वारा यह मामले विचारित किये जाते हैं। इस अधिनियम का उद्देश्य नशे के कारोबार पर सख्ती से अंकुश लगाना है और इसीलिए विशेष न्यायालय बनाए गए हैंं।
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