विषय-सूचि
- गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत क्या हैं?
- इन स्त्रोतों की विशेषताएं निम्न हैं:
- गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत के उदाहरण
- वायु ऊर्जा
- ज्वारीय ऊर्जा
- सौर ऊर्जा
- भूतापीय ऊर्जा
- बायो मास
- निष्कर्ष
गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत क्या हैं? (Non conventional sources of energy in hindi)
गैर पारंपरिक स्रोत वे हैं, जो हाल ही में प्रयोग में आए हैं। इन स्रोतों को प्रयोग करने का उपाय तथा तकनीक, पहले दोनों ही नहीं थे।
इन स्त्रोतों की विशेषताएं निम्न हैं:
- ये पृथ्वी पर असीमित मात्रा में हैं।
- ये स्रोत कभी लुप्त नहीं होंगे। यदि थोड़ी चेष्टा हो और इनका ध्यान रखा जा सके, तो ये सदा हमे ऊर्जा प्रदान करते रहेंगे।
- इस प्राकर के ऊर्जा स्रोत अक्षय ( रिन्यूएबल ) होते हैं।
- क्योंकि ये प्रदूषण हीन हैं, इन्हें पर्यावरण हितेषी ( ईको फ्रेंडली ) भी कहा जाता है। यदि प्रदूषण हो भी, तो वह इतना कम होता है कि उसे नियंत्रण में रखा जा सके।
- इनका प्रयोग अधिकतर बिजली के उत्पादन के लिए किया जाता है। इनसे विश्व के उन कोनों तक भी बिजली पहुँचाई जा सकती है जहाँ तार बिछाना कठिन है।
- पारंपरिक स्रोतों की तुलना में ये सस्ते संसाधन हैं।
इसके कुछ उदाहरण हैं – सौर ऊर्जा, वायु ऊर्जा, ज्वारीय ( tidal ) ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, बायो मास आदि।
गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत के उदाहरण (list of Non conventional sources of energy in hindi)
सौर ऊर्जा (Solar energy in hindi)
सूर्य की किरणों में ऊर्जा ( बिजली ) बनाने की क्षमता है। फोटोवोल्टिक सेल का प्रयोग कर इन किरणों की ऊर्जा को सीधा बिजली में परिवर्तित किया जा सकता है।
इसे लगाने की प्रारंभिक लागत थोड़ी अधिक है, परंतु उसके बाद, बहुत कम खर्च है। यह एक अत्यंत कुशल तरीका है जिसमे बिजली पैदा होने के पश्चात कोई अवशेष नहीं बचता।
हालाँकि रात में सूरज की रौशनी न होने के कारण ऊर्जा का संचार रुक जाता है। और ऋतुओं के भी कारण अपेक्षित तीव्रता में कमी हो सकती है।
वायु ऊर्जा (Wind energy in hindi)
वायु ऊर्जा विंडमिल का प्रयोग कर प्राप्त की जाती है। वायु के वेग से विंडमिल के पंखे घूमते हैं, जिससे टरबाइन घूमता है और फिर बिजली पैदा होती है।
इस बिजली का प्रयोग सिंचाई तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पानी पहुँचाने जैसे कार्यों के लिए किया जाता है। विंड फार्म पुरी, सौराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान आदि जगहों पर लगाए जाते हैं, जहाँ प्रचुर वायु प्रवाह है।
कुछ असुविधाएँ – विंड फार्म बनाने के लिए बड़े क्षेत्रों की आवश्यता होती है। विंडमिल से बहुत भी शोर भी होता है। और, हवा की गति में उतार चढ़ाव के कारण इसकी उपलब्धता निश्चित नहीं है।
ज्वारीय ऊर्जा (Tidal energy in hindi)
सूरज तथा चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण समुद्रों तथा महासागरों में ज्वारें ( tides ) उठती है। इन ज्वारों की स्थितिज और गतिज ( potential and kinetic ) ऊर्जा को भी बिजली बनाने में प्रयोग किया जा सकता है।
भारत के कुछ क्षेत्रों में इसकी संभावना है, परंतु तट पर प्रयोग होने वाले यंत्र महँगे होने के कारण अभी यह प्रचलन में नहीं है।
भूतापीय ऊर्जा (Geothermal energy in hindi)
धरती के भीतर की ऊष्मा (heat) को ऊर्जा में बदला जा सकता है। यह ऊष्मा पानी के गर्म झरनों के रूप में बाहर आती है।
भारत में इस स्रोत की गुंजाइश बहुत कम है।
बायो मास (Biomass in hindi)
जानवरों तथा पेड़ पौधों के बचे हुए कचरे और अंशों से ऊर्जा बनाई जा सकती है। इसे बायो मास कहते है। इस कचरे से गैस बनाई जाती है, जिसे खाना पकाने के लिए प्रयोग कर सकते है।
गैस बनने के बाद जो बच जाता है, वह बहुत ही अच्छी खाद होती है। इसका खेतों में प्रयोग कर उपज बढ़ाई जा सकती है।
निष्कर्ष
पारंपरिक ऊर्जा स्रोत सीमित मात्रा में हैं और जल्द की ख़त्म हो जाएँगे। उनके कारण प्रदूषण भी बढ़ रहा है। गैर पारंपरिक स्रोत क्लीन फ्यूल है, यानी ये प्रदूषण नहीं करते। तथा ये कभी ख़त्म भी नहीं होंगे।
अब भी हम अपनी ऊर्जा की आवश्यकताओं के लिए पारंपरिक स्रोतों पर ही भारी रूप से निर्भर हैं। तथा गैर पारंपरिक स्रोतों का पूरी तरह लाभ उठाने में अभी हमे बहुत समय लगेगा।
हालांकि अनुसंधान चल रहा है, और नई तकनीकों को खोजा जा रहा है, जिससे गैर पारंपरिक स्रोतों का और निपुणता से प्रयोग किया जा सके।
भविष्य में यदि हमें पानी से चलने वाली गाड़ी और वायु से चलने वाला मोटर भी दिखे, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
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