1 जनवरी से ही नए साल की शुरुआत क्यों?
पहले तो सभी पाठकों को नए साल की मुबारकबाद। आज 1 जनवरी है यानी नए साल की शुरुआत। 1 जनवरी को कई देशों में नया साल मनाया जाता है। लेकिन बहुत से लोगों को यह पता नहीं है कि सदियों तक 1 जनवरी को नया साल नहीं होता था। कभी 25 मार्च तो कभी 25 दिसंबर से भी साल की शुरुआत होती थी। तो आइए आज जानते हैं कि कैसे 1 जनवरी से नए साल मनाने की शुरुआत हुई।
मार्च से होती थी साल की शुरुआत
715 ईसा पूर्व से लेकर 673 ईसा पूर्व तक नूमा पोंपिलस रोम का राजा रहा। उसने रोमन कैलेंडर में कुछ बदलावा किया। कैलेंडर में मार्च की जगह जनवरी को पहला महीना माना गया। दरअसल जनवरी का नाम जानूस (Janus) पर पड़ा है जिसे रोम में किसी चीज की शुरुआत करने का देवता माना जाता है वहीं मार्च नाम मार्स (mars) से लिया गया था जिसे युद्ध का देवता माना जाता है। इसलिए नूमा ने जनवरी को पहला महीना बनाया क्योंकि इसका अर्थ ही शुरुआत है। वैसे उस कैलेंडर में 10 महीने होते थे और एक साल में 310 दिन। उन दिनों एक सप्ताह भी 8 दिनों का होता था। 153 ईसा पूर्व तक 1 जनवरी को आधिकारिक रूप से रोमन वर्ष की शुरुआत घोषित नहीं किया गया।
जूलियन कैलेंडर
रोम के राजा जूलियन सीजर ने रोमन कैलेंडर में कुछ बदलाव किए लेकिन जनवरी को ही पहला महीना रखा। उसने ही 1 जनवरी से नए साल की शुरुआत की। जूलियन कैलेंडर में नई गणनाओं के आधार पर साल का 12 महीना माना गया। जूलियस सीजर ने खगोलविदों से संपर्क किया और गणना किया। उसमें यह सामने आया कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य का चक्कर लगाती है। इसलिए जूलियन कैलेंडर में साल में 310 की जगह 365 दिन माना गया और 6 घंटे जो अतिरिक्त बचते थे उसके लिए लीप ईयर का कॉन्सेप्ट आया। हर 4 चाल में यह 6 घंटा मिलकर 24 घंटा यानी एक दिन हो जाता है तो हर चौथे साल फरवरी को 29 दिन का किया गया।
25 मार्च और 25 दिसंबर को नया साल
रोमन साम्राज्य के पतन के बाद 5वीं सदी में कई क्रिस्चन देशों ने जूलियन कैलेंडर में बदलाव किया। वह इसको अपने धर्म के अनुरूप बनाने की कोशिश में। कुछ ने अपनी धार्मिक मान्यतां के मुताबिक, 25 मार्च तो कुछ ने 25 दिसंबर को नया साल मनाना शुरू किया। ईसाई मान्यता के मुताबिक, 25 मार्च को ही ईश्वर के विशेष दूत गैबरियल ने आकर मैरी को संदेश दिया था कि वह ईश्वर के अवतार ईसा मसीह को जन्म देंगी। वहीं 25 दिसंबर को ईसा मसीह का जन्म हुआ था।
ग्रेगोरियन कैलेंडर
बाद में यह पाया गया कि जूलियन कैलेंडर में लीप इयर को लेकर त्रुटि है। सेंट बीड नाम के एक धर्म गुरु ने यह बताया कि एक साल में 365 दिन और 6 घंटे न होकर 365 दिन 5 घंटे और 46 सेकंड होते हैं। इसमें संशोधन करके पोप ग्रेगरी ने 1582 में नया कैलेंडर पेश किया तब से 1 जनवरी को नए साल की शुरुआत माना गया।
ग्रेगरी कैलेंडर को कब अपनाया गया?
ग्रेगोरियन कैलेंडर को अक्टूबर 1582 से अपनाया गया। 10 दिन आगे कर 5 अक्टूबर के बाद सीधे 15 अक्टूबर से कैलेंडर की शुरुआत की गई। ज्यादातर कैथोलिक देशों ने तुरंत ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपना लिया। उनमें स्पेन, पुर्तगाल और इटली के अधिकाश इलाके शामिल थे। लेकिन प्रोटेस्टेंट्स इसको तुरंत अपनाने के इच्छुक नहीं थे। खैर बाद में उन्होंने भी इसे अपनाया। ब्रिटिश साम्राज्य ने 1752 में और स्वीडन ने 1753 में इसे अपनाया। रूस में 1917 तक जुलियन कैलेंडर को अपनाया गया। रूसी क्रांति के बाद वहां ग्रेगोरियन कैलेंडर फअनाया गया जबकि ग्रीस में जूलियन कैलेंडर 1923 तक चलता रहा। भारत में भी 1752 में ही ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया गया।
लीप इयर की गणना
वैसे तो जिस साल में 4 से भाग लग जाता है, वह लीप इयर होता है लेकिन शताब्दी वर्षों जैसे 1600,1700,1800 में 4 और 400 दोनों से पूरा-पूरा लगने पर उसे लीप इयर माना जाएगा। जैसे 1600 में तो 400 से पूरा-पूरा भाग लग जाता है लेकिन 1700 और 1800 में नहीं तो इन दोनों शताब्दी सालों को लीप इयर नहीं माना जाएगा।
और कौन से कैलेंडर हैं?
ज्यादातर मुस्लिम हिजरी कैलेंडर को मानते हैं। हिजरी कैलेंडर में एक साल में 354 दिन होते हैं। भारत का आधिकारिक कैलेंडर शक कैलेंडर है जिसे 22 मार्च, 1957 को अपनाया गया। इसका पहला महीना चैत्र होता है और साल में 365 दिन होते हैं। ईरान और अफगानिस्तान में पर्सियन कैलेंडर का इस्तेमाल होता है।
Welcome to Pdakoo ❣️
Shaping the future of tomorrow!