हम्पी मध्यकालीन हिन्दू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी था। तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित यह नगर अब ‘हम्पी’ के नाम से जाना जाता है। यह प्राचीन शानदार नगर अब मात्र खंडहरों के रूप में ही अवशेष अंश में बची है। यहाँ के खंडहरों को देखने से यह सहज ही प्रतीत होता है कि किसी समय में हम्पी में एक समृद्धशाली सभ्यता निवास करती थी।
भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित यह नगर यूनेस्को द्वारा ‘विश्व विरासत स्थलों’ की सूची में भी शामिल है। हर साल यहाँ हज़ारों की संख्या में सैलानी और तीर्थ यात्री आते हैं। हम्पी का विशाल फैलाव गोल चट्टानों के टीलों में विस्तृत है। घाटियों और टीलों के बीच पाँच सौ से भी अधिक स्मारक चिह्न हैं। इनमें मंदिर, महल, तहख़ाने, जल-खंडहर, पुराने बाज़ार, शाही मंडप, गढ़, चबूतरे, राजकोष…. आदि बहुत से इमारतें हैं।
हम्पी का इतिहास प्रथम शताब्दी से प्रारंभ होता है। उस समय इसके आसपास बौद्धों का कार्यस्थल था। सम्राट अशोक के माइनर रॉक शिलालेख नुत्तुर और उडेगोलन के अनुसार यह साम्राज्य 3 री शताब्दी के दौरान अशोक साम्राज्य का ही भाग था। बाद में हम्पी विजयनगर साम्राज्य की राजधानी बना।
विजयनगर हिन्दुओं के सबसे विशाल साम्राज्यों में से एक था। हरिहर और बुक्का नामक दो भाईयों ने 1336 ई. में इस साम्राज्य की स्थापना की थी। कृष्णदेव राय ने यहाँ 1509 से 1529 के बीच हम्पी में शासन किया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया। हम्पी में शेष रहे अधिकतर स्मारकों का निर्माण कृष्णदेव राय ने करवाया था। यहाँ चार पंक्तियों की क़िलेबंदी नगर की रक्षा करती थी। इस साम्राज्य की विशाल सेना दूसरे राज्यों से इसकी रक्षा करती थी। विजयनगर साम्राज्य के अर्न्तगत कर्नाटक, महाराष्ट्र और आन्ध्र प्रदेश के राज्य आते थे।
उस समय विजयनगर में तक़रीबन 5,00,000 निवासी रहने लगे थे। कृष्णदेवराय की मृत्यु के बाद इस विशाल साम्राज्य को बीदर, बीजापुर, गोलकुंडा, अहमदनगर और बरार की मुस्लिम सेनाओं ने 1565 में नष्ट कर दिया। कर्नाटक राज्य में स्थित हम्पी को रामायणकाल में पम्पा और किष्किन्धा के नाम से जाना जाता था। हम्पी नाम हम्पादेवी के मंदिर के कारण पड़ा। हम्पादेवी मंदिर ग्यारहवीं से तेरहवीं शताब्दी के बीच बनवाया गया था। विजयनगर के प्राचीन भवनों का विस्तृत विवरण लांगहर्स्ट ने अपनी पुस्तक ‘हम्पी रुइंस’ में दिया है।
विजयनगर शहर भी ऋषि विद्यारण्य के सम्मान में विद्यानगर के रूप में भी जाना जाता है। इस जगह के स्मारकों को हरिहर से लेकर सदाशिव राया के समय से ई 1336-1570 के बीच बनाया गया था। इस अवधि में अभूतपूर्व पैमाने पर हिंदू धर्म, कला, वास्तुकला आदि का पुनरुत्थान देखा गया।
हम्पी के साथ एक पौराणिक एसोसिएशन भी जुडी हुई है। स्थानीय लोगों और लोककथाओं के अनुसार, इस क्षेत्र को रामायण में पौराणिक किष्किन्दा वानर राज्य कहा जाता था और यह वह जगह है जहां राम और लक्ष्मण ने सीता की खोज करने के लिए लंका जाने से पहले पनाह ली थी। आज के पहाड़ों और कई स्थानों पर सुग्रीव, बाली, हनुमान और राम के रुकने की कहानियां हैं।
हम्पी अपने खंड़हरों की सुंदर वास्तुकला के अलावा अपने धार्मिक इतिहास के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। कर्नाटक की प्रमुख नदियों में से एक तुंगभद्रा नदी, इस शहर में बहती है, तथा इन खंड़हरों के पास एक विस्मयदायक प्राकृतिक वातावरण को प्रदान करती है। आसपास के पहाड़ों के प्राकृतिक पत्थर इन विशाल शिलाखंड़ों के स्रोत हैं जिनका इस्तेमाल विजयनगर के राजाओं द्वारा हम्पी के मंदिरों के प्रभावशाली पत्थरों के नक्काशीदार खंभों के लिए किया गया था।
मंदिरों और प्राकृतिक दृश्यों के अलावा, यहां बड़ी खूबसूरती के साथ बनाए गए कई पानी के ताल और अन्य सार्वजनिक भवन भी हैं, जो विजयनगर के राजाओं के नगर नियोजन कौशल को दर्शाते हैं। यहां के जलसेतु और नहरें 13 से 15वीं सदी की जल प्रबंधन प्रणाली की एक झलक दिखलाते हैं।
मंदिरों का शहर – Hampi Temple in Hindi
हम्पी मंदिरों का शहर है जिसका नाम पम्पा से लिया गया है। पम्पा तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है। हम्पी इसी नदी के किनारे बसा हुआ है। पौराणिक ग्रंथ रामायण में भी हम्पी का उल्लेख वानर राज्य किष्किन्धा की राजधानी के तौर पर किया गया है। शायद यही वजह है कि यहाँ कई बंदर हैं। आज भी हम्पी के कुछ मंदिरों में भगवान की पूजा की जाती है। चलिए कुछ मंदिरो के बारे में जानते हैं…
विट्ठलस्वामी का मन्दिर (Vittala swamy temple) –
हम्पी में विट्ठलस्वामी का मन्दिर सबसे ऊँचा है। यह विजयनगर के ऐश्वर्य तथा कलावैभव के चरमोत्कर्ष का द्योतक है। मंदिर के कल्याणमंडप की नक़्क़ाशी इतनी सूक्ष्म और सघन है कि यह देखते ही बनता है। मंदिर का भीतरी भाग 55 फुट लम्बा है। और इसके मध्य में ऊंची वेदिका बनी है। विट्ठल भगवान् का रथ केवल एक ही पत्थर में से कटा हुआ है। मंदिर के निचले भाग में सर्वत्र नक़्क़ाशी की हुई है।
विरुपाक्ष मन्दिर (Virupaksha temple) –
विरुपाक्ष मन्दिर को पंपापटी मंदिर भी कहा जाता है, यह हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है। हम्पी के कई आकर्षणों में से यह मुख्य है। 1509 में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने गोपुड़ा का निर्माण करवाया था। भगवान विठाला या भगवान विष्णु को यह मंदिर समर्पित है। इस विशाल मंदिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मंदिर हैं जो विरूपाक्ष मंदिर से भी प्राचीन हैं। मंदिर के पूर्व में पत्थर का एक विशाल नंदी है जबकि दक्षिण की ओर भगवान गणेश की विशाल प्रतिमा है। यहाँ अर्ध सिंह और अर्ध मनुष्य की देह धारण किए नरसिंह की 6.7 मीटर ऊँची मूर्ति है
रथ (Hampi ratha) –
विठाला मंदिर का मुख्य आकर्षण इसकी खम्बे वाली दीवारें और पत्थर का बना रथ है। इन्हें संगीतमय खंभे के नाम से जाना जाता है, क्योंकि प्यार से थपथपाने पर इनमें से संगीत निकलता है। पत्थर का बना रथ वास्तुकला का अद्भुत नमूना है। पत्थर को तराशकर इसमें मंदिर बनाया गया है, जो रथ के आकार में है। कहा जाता है कि इसके पहिये घूमते थे, लेकिन इन्हें बचाने के लिए सीमेंट का लेप लगा दिया गया है।
बडाव लिंग –
यह हम्पी के सबसे बड़े लिंग का छायाछित्र है। जो लक्ष्मी नरसिम्हा मूर्ति के बाजू में ही स्थित है। बडाव लिंग चारों ओर से पानी से घिरा है, क्योंकि इस मंदिर से ही नहर गुज़रती है। मान्यता है कि हम्पी के एक ग़रीब निवासी ने प्रण लिया था कि यदि उसकी क़िस्मत चमक उठी तो वह शिवलिंग का निर्माण करवाया। बडाव का ग़रीब ही होता है।
लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर (Lakshmi narasimha temple)
हम्पी लक्ष्मी नरसिम्हा मंदिर या उग्र नरसिम्हा मंदिर बड़े चट्टानों से बना हुआ है, यह हम्पी की सबसे ऊँची मूर्ति है। यह क़रीब 6.7 मीटर ऊँची है। नरसिम्हा आदिशेष पर विराजमान हैं। असल में मूर्ति के एक घुटने पर लक्ष्मी जी की छोटी तस्वीर बनी हुई है, जो विजयनगर साम्राज्य पर आक्रमण के समय धूमिल हो गई।
हज़ारा राम मंदिर (Hazara rama temple) –
यह एक खंडहर मंदिर है जिसे हिन्दू धर्मशास्त्र में काफी महत्त्व दिया गया है। यह मंदिर 1000 से भी ज्यादा लकडियो की खुदाई और शिलालेख और रामायण की प्राचीन कथा के लिये जाना जाता है।
रानी का स्नानागार –
हम्पी में स्थित रानी का स्नानागार चारों ओर से बंद है। 15 वर्ग मीटर के इस स्नानागार में गैलरी, बरामदा और राजस्थानी बालकनी है। कभी इस स्नानागार में सुगंधित शीतल जल छोटी-सी झील से आता है, जो भूमिगत नाली के माध्यम से स्नानागार से जुड़ा हुआ था। यह स्नानागार चारों ओर से घिरा और ऊपर से खुला है।
कमल महल (Lotus Temple) –
कमल महल हज़ारा राम मंदिर के समीप है। यह महल इन्डो-इस्लामिक शैली का मिश्रित रूप है। कहा जाता है कि रानी के महल के आसपास रहने वाली राजकीय परिवारों की महिलाएँ आमोद-प्रमोद के लिए यहाँ आती थीं। महल के मेहराब बहुत आकर्षक हैं।
मल्यावंता रघुनाथास्वमी मंदिर प्राचीन भारतीय शैली की वास्तुकला में बनाया गया है। मल्यावंता रघुनाथास्वमी मंदिर जमीन से 3 किलोमीटर निचे बना हुआ है। इसकी अंदरूनी दीवारों पर अजीब दिखावा किया गया है और मछली और समुद्री जीवो की कलाकृतियाँ भी बनायी गयी है।
हाउस ऑफ़ विक्टरी
हाउस ऑफ़ विक्टरी स्थान विजयनगर के शासकों का आसन था। इसे कृष्णदेवराय के सम्मान में बनवाया गया जिन्होंने युद्ध में ओडिशा के राजाओं को पराजित किया था। वह हाउस ऑफ़ विक्टरी के विशाल सिंमतलबहासन पर बैठते थे और नौ दिवसीय दसारा पर्व को यहाँ से देखते थे।
हाथीघर –
हम्पी का हाथीघर जीनान क्षेत्र से सटा हुआ है। यह ग़ुम्बदनुमा इमारत है जिसका इस्तेमाल राजकीय हाथियों के लिए किया जाता था। इसके प्रत्येक चेम्बर में एक साथ ग्यारह हाथी रह सकते थे। यह हिन्दू-मुस्लिम निर्माण कला का उत्तम नमूना है।
इसके अलावा हम्पी के और आकर्षक स्माारक –
पवित्र केंद्र, वैश्यालय ‘स्ट्रीट, अच्युत राय के मंदिर, ससिवेकलु गणेश, रॉयल केंद्र, महानवमी डिब्बा, ग्रनारीस, हरिहर पैलेस वीरा, रिवरसाइड खंडहर, करैले क्रॉसिंग, जज्जल मंडप, पुरंदरदास मंडप, तालरिगट्टा गेट अहमद खान मस्जिद और मकबरे, कमालपुर, पुरातत्व संग्रहालय, भीमा के गेटवे, गनीगित्ति मंदिर, गुंबददार गेटवे, अनेगोंदी, विरुपपुर गडदे, बुक्का के जलसेतु, हाकपा मंडप, पंपा सरोवर, माटुंगा हिल।
हम्पी के बारे रोचक बाते – Interesting Facts About Hampi in Hindi
1). कहा जाता है कि हम्पी के हर पत्थर में कहानी बसी है। यहाँ दो पत्थर त्रिकोण आकार में जुड़े हुए हैं। दोनों देखने में एक जैसे ही हैं, इसलिए इन्हें सिस्टर स्टोंस कहा जाता है। इसके पीछे भी एक कहानी प्रचलित है। दो ईर्ष्यालु बहनें हम्पी घूमने आईं, वे हम्पी की बुराई करने लगीं। शहर की देवी ने जब यह सुना तो उन दोनों बहनों को पत्थर में तब्दील कर दिया।
2). मंदिर में प्रसिद्ध संगीतमय पिल्लर बने हुए है। ब्रिटिश हमेशा से ही इस चमत्कार के पीछे के कारण को जानना चाहते थे और इसीलिए उन्होंने यह देखने के लिये की पिल्लर के अंदर तो कुछ नही उन्होंने दो पिल्लरो को तोडा भी था। लेकिन पिल्लर में उन्हें ऐसा कुछ नही मिला जिससे आवाज़ निकलती हो। आज हमें ब्रिटिशो द्वारा तोड़े गए वो दो पिल्लर दिखाई देते है।
3). मंदिर से लगा हुआ जो रोड है वहा एक समय में घोड़ो को बेचने का बाज़ार हुआ करता था। आज भी हमें खंडहर के रूप में बाज़ार दिखाई देता है। मंदिर में भी हमें घोड़े बेचने वाले कुछ लोगो के छायाचित्र दिखाई देते है।
4). यह माना जाता है कि एक समय में हम्पी रोम से भी समृद्ध नगर था। प्रसिद्ध मध्यकालीन विजयनगर राज्य के खण्डहर वर्तमान हम्पी में मौजूद हैं। इस साम्राज्य की राजधानी के खण्डहर संसार को यह घोषित करते हैं कि इसके गौरव के दिनों में स्वदेशी कलाकारों ने यहाँ वास्तुकला, चित्रकला एवं मूर्तिकला की एक पृथक शैली का विकास किया था। हम्पी पत्थरों से घिरा शहर है। यहाँ मंदिरों की ख़ूबसूरत शृंखला है, इसलिए इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है।
5). हम्पी दरअसल यह गाँव है, जो विकास की रफ़्तार में काफ़ी पिछड़ा हुआ है। यहाँ के निवासियों को बिल्कुल नहीं पता कि सदियों पहले यह जगह कैसी हुआ करती थी। नव वृंदावन मंदिर तक पहुँचने के लिए नाव के ज़रिए नदी पार करनी पड़ती है, जिसे कन्नड़ में टेप्पा कहा जाता है। यहाँ के लोगों का विश्वास है कि नव वृंदावन मंदिर के पत्थरों में जान है, इसलिए लोगों को इन्हें छूने की इजाज़त नहीं है।
6). यहाँ स्थापित इस्लामिक क्वार्टर को कभी-कभी मूरिश क्वार्टर भी कहते है, जो उत्तरी मल्यावंता पर्वत और तलारिगत्ता गेट के बीच बना है।
7). आर्कियोलॉजिस्ट के अनुसार, उच्च श्रेणी के मुस्लिम अधिकारी और दरबार के मुख्य व्यक्ति और मिलिट्री ऑफिसर इस जगह पर रहते है।
हम्पी कैसे जाएँ – How to reach hampi
दक्षिणी किनारे पर स्थित हम्पी खूबसूरत होने के साथ-साथ ऐतिहासिक रूप से भी काफी समृद्ध है। अगर आप भी इतिहास में दिलचस्पी रखते हैं और हम्पी जाने का प्लान बना रहे हैं इस तरह से जाएँ..
हवाई मार्ग – कर्नाटक का हुबली एयरपोर्ट हम्पी का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है जो यहां से 166 किलोमीटर दूर है। बेंगलुरू से नियमित फ्लाइट्स हुबली आती हैं। यहां आप कैब या बसे लेकर जा सकते हैं।
रेल मार्ग – हम्पी का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन हॉस्पेट जंक्शन है जो हम्पी से महज 13 किलोमीटर दूर है। हॉस्पेट, देश के प्रमुख शहरों से रेल मार्ग के जरिए जुड़ा हुआ है और बेंगलुरु, हैदराबाद और गोवा से कई नियमित ट्रेनें यहां आती हैं। यहाँ से आप वाहन लेकर पहुँच सकते हैं।
सड़क मार्ग – कर्नाटक के सभी प्रमुख शहरों से हम्पी बस सर्विस के जरिए जुड़ा हुआ है। कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन की बसों के अलावा कई प्राइवेट और टूरिस्ट बसें भी नजदीकी शहरों से हम्पी के लिए चलती हैं।
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