1…वैष्णो देवी का विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के समीप की पहाड़ियों पर स्थित है। इन पहाड़ियों को त्रिकुटा पहाड़ी कहते हैं। यहीं पर लगभग 5,200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है मातारानी का मंदिर। यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ स्थल है।
भगवान शिव के इस प्रमुख अमरनाथ गुफा में भगवान शंकर और माता पार्वती के अमरत्व का रहस्य बताया गया था, इसलिए इस पवित्र स्थल को तीर्थों का तीर्थ भी कहा जाता है।
इस पवित्र गुफा के दर्शन करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं, हालांकि इसके दर्शन बेहद दुर्लभ हैं, बड़ी मुश्किलों के बाद भक्तगण इसके दर्शन करने के लिए यहां पहुंचते हैं। इस पवित्र मंदिर का अपना एक ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। हिन्दुओं के इस पवित्र गुफा की यह विशेषता है कि यहां हर साल बर्फ से बेहद सुंदर शिवलिंग बनता है, इसलिए इसे बर्फानी वाले बाबा, स्वयंभू ‘हिमानी शिवलिंग’ आदि के नाम से भी जाना जाता है।
इस पवित्र हिमलिंग के दर्शन करने दूर-दूर से भक्त जन यहां पहुंचते हैं। अमरनाथ की यात्रा पूरे साल में करीब 45 दिन की होती है, जो ज्यादातर जुलाई और अगस्त के बीच में होती है। आषाढ़ पूर्णिमा से लेकर भाई-बहन के पावन पर्व रक्षाबंधन तक होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए दुनिया के कोने-कोने से शिव भक्त अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं। तो चलिए जानते हैं इस पवित्र तीर्थस्थल के बारे में –
अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास – Lord Amarnath temple history in Hindi-
गुफा के चारो तरफ बर्फीली पहाड़ियाँ है। बल्कि यह गुफा भी ज्यादातर समय पूरी तरह से बर्फ से ढंकी हुई होती है और साल में एक बार इस गुफा को श्रद्धालुओ के लिये खोला भी जाता है।
हजारो लोग रोज़ अमरनाथ बाबा के दर्शन के लिये आते है और गुफा के अंदर बनी बाबा बर्फानी को मूर्ति को देखने हर साल लोगो भारी मात्रा में आते है।
इतिहास में इस बात का भी जिक्र किया जाता है की, महान शासक आर्यराजा कश्मीर में बर्फ से बने शिवलिंग की पूजा करते थे। रजतरंगिनी किताब में भी इसे अमरनाथ या अमरेश्वर का नाम दिया गया है।
कहा जाता है की 11 वी शताब्दी में रानी सुर्यमठी ने त्रिशूल, बनालिंग और दुसरे पवित चिन्हों को मंदिर में भेट स्वरुप दिये थे। अमरनाथ गुफा की यात्रा की शुरुवात प्रजाभट्ट द्वारा की गयी थी। इसके साथ-साथ इतिहास में इस गुफा को लेकर कयी दुसरे कथाए भी मौजूद है।
पवित्र गुफा की खोज – Baba Barfani Gufa Amarnath temple
कहा जाता है की मध्य कालीन समय के बाद, 15 वी शताब्दी में दोबारा धर्मगुरूओ द्वारा इसे खोजने से पहले लोग इस गुफा को भूलने लगे थे।
इस गुफा से संबंधित एक और कहानी भृगु मुनि की है। बहुत समय पहले, कहा जाता था की कश्मीर की घाटी जलमग्न है और कश्यप मुनि ने कुई नदियों का बहाव किया था।
इसीलिए जब पानी सूखने लगा तब सबसे पहले भृगु मुनि ने ही सबसे पहले भगवान अमरनाथ जी के दर्शन किये थे।
इसके बाद जब लोगो ने अमरनाथ लिंग के बारे में सुना तब यह लिंग भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग कहलाने लगा और अब हर साल लाखो श्रद्धालु भगवान अमरनाथ के दर्शन के लिये आते है।
कबूतर के पीछे पौराणिक कथा
जब भगवान शिव ने माता पार्वती को कथा सुनाने के लिए अमरनाथ की गुफा में प्रवेश किया तो कालाग्नि को यह आदेश दिया कि गुफा में जो भी जीव हैं उन्हें भस्म कर दो। कालाग्नि ने ऐसा ही किया और सभी जीवों को भस्म कर दिया। लेकिन उस गुफा में कबूतर को दो अंडे रह गए। चूंकि अंडों को जीवधारी नहीं माना जाता है, इसलिए वे भस्म होने से बच गए। जब भगवान शिव ने माता पार्वती को कथा सुनाना आरंभ किया तो इन अंडों से कबूतर निकल आए और वे भी कथा सुनने लगे। इस प्रकार इन कबूतरों को साक्षात भगवान शिव और देवी पार्वती के दर्शन के समान माना गया है।
Welcome to Pdakoo ❣️
Shaping the future of tomorrow!